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बासुकीनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर, जरमुंडी सूचना

 
बासुकीनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर, जरमुंडी (झारखंड फोटो गैलरी)

बासुकीनाथ मंदिर एक हिंदू मंदिर है जो भगवान शिव को समर्पित है और भारत के झारखंड के देवघर में स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है और हिंदुओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में से एक है।

बासुकीनाथ मंदिर का इतिहास अच्छी तरह से प्रलेखित नहीं है लेकिन ऐसा माना जाता है कि इसकी स्थापना 16वीं शताब्दी के दौरान हुई थी। मंदिर का सदियों से कई बार नवीनीकरण किया गया है और वर्तमान संरचना 19वीं शताब्दी में बनाई गई थी। यह मंदिर एक बड़े प्रांगण से घिरा हुआ है और अपनी जटिल नक्काशी और मूर्तियों के लिए जाना जाता है।

बासुकीनाथ मंदिर का आध्यात्मिक महत्व इस विश्वास में निहित है कि भगवान शिव यहां ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए थे, जो उनकी दिव्य और शुद्ध चेतना का प्रतिनिधित्व है। मंदिर को एक ऐसा स्थान माना जाता है जहां भक्त मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं और प्रार्थना और अनुष्ठान करके अपने पाप धो सकते हैं।

बासुकीनाथ मंदिर एक लोकप्रिय तीर्थस्थल है और पूरे भारत और विदेशों से लाखों भक्तों को आकर्षित करता है। मंदिर में श्रावण (जुलाई-अगस्त) के महीने में विशेष रूप से भीड़ होती है, जब भक्त भगवान शिव को गंगा नदी से जल चढ़ाने के लिए सुल्तानगंज से देवघर तक पैदल यात्रा करते हैं। इसे श्रावण मेले के नाम से जाना जाता है और इसे भारत के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक माना जाता है।

कालक्रम

  • किंवदंती: किंवदंती है कि लंका के राजा रावण को इस स्थान पर लिंगम के रूप में भगवान शिव से आशीर्वाद मिला था।
  • किंवदंती: एक अन्य किंवदंती के अनुसार, मंदिर का निर्माण पांच पांडव भाइयों में से एक राजा वासु ने अपने निर्वासन काल के दौरान किया था।
  • निर्माण तिथि (अज्ञात): मंदिर के निर्माण की सही तारीख ज्ञात नहीं है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि यह कई शताब्दी पुराना है।
  • 1810: मंदिर का जीर्णोद्धार छोटा नागपुर की रानी बैद्यनाथी द्वारा करवाया गया।
  • 1937-1938: बाबा नागीनाथ के मार्गदर्शन में मंदिर का प्रमुख जीर्णोद्धार किया गया।
  • 1952: मंदिर का प्रबंधन देवघर मंदिर बोर्ड को सौंप दिया गया।
  • तीर्थयात्रा (चालू): मंदिर में साल भर बड़ी संख्या में भक्त आते हैं, खासकर श्रावण के महीने के दौरान, जो जुलाई और अगस्त के बीच आता है, और फरवरी या मार्च में महाशिवरात्रि त्योहार के दौरान।

अतिरिक्त जानकारी:

 

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